जानवरों पर सैन्य अनुसन्धान

जानवरों पर सैन्य अनुसन्धान

कई उद्देश्यों में से एक जिनके लिए जानवरों का इस्तेमाल मात्र उपकरण की तरह किया जाता है, सैन्य अनुसंधान है | अमानुष जानवरों पर् कौन से अनुसंधान हुये हैं उनका विस्तार-क्षेत्र ज्ञात नहीं है क्योंकि इस विषय पर जानकारी प्राप्त करना बहुत कठिन है | यूनाइटेड स्टेट्स (संयुक्त राज्य) कृषि विभाग, जो पशु कल्याण अधिनियम को लागू करने की प्रभारी है, के पास प्रयोगशालाओं की जांच करने का अधिकार नहीं है जो फ़ेडरल सरकार से सम्बंधित हैं | यू के में, पोर्टन डाउन की सैन्य प्रयोगशालाओं में किये गए परीक्षण भी सालों तक गोपनीय रहे | हालाँकि, यह ज्ञात है कि जानवरों पर विस्तृत सीमा में हथियारों का परीक्षण हुआ है | इनमें ऐके- 47 राइफल्स, जैविक और रासायनिक तत्त्व, और और यहाँ तक कि नाभिकीय विस्फोट भी शामिल हैं |1 वर्ष 1997 से 2007 के बीच ब्रिटेन में हथियारों के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले जानवरों की संख्या 4500 से बढ़ कर 18000 से अधिक हो गई | वर्ष 2005 में पोर्टन डाउन में, 21,118 जानवरों पर आधारित परीक्षण प्रक्रियायें हुईं, इसकी लगभग दुगुनी वर्ष 2007 में |2

अल्बेनिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, क्रोएशिया,चेक रिपब्लिक, एस्टोनिया, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, इटली, लाटविया, लक्सेम्बर्ग , नीदरलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, और तुर्की जानवरों का इस्तेमाल सैन्य चिकित्सा प्रशिक्षण अभ्यास केम्लिये नहीं करते, प्रतिरूप तकनीक की उपलब्धता सहित कई कारणों का हवाला (उद्धरण) देते हुये | लिथुवेनिया की सैन्य पुलिस कुत्तों का इस्तेमाल करती है, हालाँकि वे सैन्य या चिकित्सा प्रशिक्षण अभय से लिए इस्तेमाल नहीं किये जाते हैं |

कनाडा, डेनमार्क, नोर्वे, पोलैंड, यूनाइटेड स्टेट्स, और यूनाइटेड किंगडम (जो डेनमार्क की पशु प्रयोगशालाओं में भाग लेने के लिये चिकित्सा कर्मचारी भेजते हैं) सैन्य चिकित्सा प्रशिक्षण अभ्यास में जानवरों का इस्तेमाल करते हैं, प्रारंभिक रूप से सूअर और बकरियां, ट्रॉमा सहित जटिल वायुमार्गों, तीक्ष्ण चोटों, गोली के घाव, और अंग-विच्छेद आघात के शल्य प्रबंधन में प्रशिक्षण के लिए | यूनाइटेड स्टेट्स भी खरगोशों का इस्तेमाल सीने में नली प्रविष्टि और नेत्र शल्य चिकित्सा अभ्यास, और चूहे सूक्ष्म शल्य चिकित्सा अभ्यासों के लिए, साथ ही साथ फेर्रेट नली लगाने के अभ्यास के लिए इस्तेमाल करता है |3 कनाडा भी सूअरों का इस्तेमाल जीवित घटक रासायनिक चिकित्सा प्रबंधन अभ्यासों में करता है |4

इन परीक्षणों की बहुत महंगे होने के कारण आलोचना हुई है जबकि ज़्यादातर प्रभाव पहले ही अध्ययन किये जा चुके हैं, या कुछ मामलों में, परिणाम मनुष्यों के प्रति सार्थक नहीं हैं | हालाँकि, यदि हम प्रजातिवाद का प्रतिकार करते हैं, तो हमें उन परीक्षणों का प्रतिकार करना चाहिए जो कभी स्वीकार्य नहीं माने जाते यदि वे मनुष्यों के ऊपर किये जाते | नीचे कुछ परीक्षणों के उदाहरण दिये गए हैं जो मनुष्यों पर कभी नहीं किये जायेंगे लेकिन जानवरों पर हो चुके हैं |

हथियारों की जांच के लिए परीक्षण

ये परीक्षण उन अधिक सामान्य परीक्षणों में से हैं जिसमें जानवरों का इस्तेमाल होता है | मनुष्य के शिकार को नए हथियार कैसे हानि पहुंचा सकते हैं यह देखने के लिए वे पहले जानवरों पर जांचे जाते हैं | यहाँ कुछ उदाहरण हैं:

  • पोर्टन डाउन (यू के) में, सूअरों को मारना सालों से होता आया है | एक प्रक्रिया में दस मादा सूअर एक बहुत विषैली गैस फोस्जीन से अनावृत (सामना करती) हुये |5 उनके श्वसन तंत्र पर गैस के दुष्प्रभावों के कारण ज़्यादातर मर गए | जो जानवर तुरंत नहीं मरे वे गैस के प्रभाव अभिलिखित किये जाने के बाद अनुसंधानकर्त्ताओं द्वारा मार दिए गए |
  • पोर्टन डाउन में हुये अन्य परीक्षण में, वर्ष 2006 से 2009 के मध्य, चार साल के समय के दौरान 119 जीवित सूअर विस्फोटक परीक्षण के शिकार थे |6
  • पोर्टन डाउन में भेड़, बन्दर, और बोवाइन सहित हजारों अन्य जानवर भी रासायनिक और जैविक हथियारों के परीक्षण के शिकार रहे हैं |7
  • वर्ष 2010 में यू एस ऐ में, डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (डी ए आर पी ए) ने एक अध्ययन प्रायोजित किया जिसमें सूअर और चूहे लगभग 200 विस्फोटक धमाकों में अधीन थे |8
  • इस तरह के चरम प्रयोग में वर्ष 1946 में, दक्षिण प्रशांत महासागर में 4000 जानवर एक नाव पर रखे गए, उन पर एक आणविक विस्फोट दागने के पहले, जो जानवर विस्फोट से नहीं मरे वे बुरी तरह जल गये |
  • फोस्जीन के एक परीक्षण में, कई सूअर विषैली गैस से गंभीर रूप से फेफड़े ख़राब होने के कारण मर गये; अन्य मार दिए गए जब परीक्षण पूरा हो गया, सिर्फ़ इसलिये क्योंकि वे आगे ज़रूरी नहीं थे |
  • अन्य परीक्षणों में सूअर विस्फोटकों के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं | 18 सूअरों पर एक परीक्षण किया गया जिनकी रक्त नलिकाओं और थैलियों में नलियां डाली गई थीं, उनकी तिल्लियां निकाल दी गईं, और उनकी प्रमुख रक्त नलियों में से एक में एक तार लगाया गया, यह निश्चित करने के लिए कि वे पंगु हो जायेंगे | फिर सूअर बेहोश (निश्चेत) कर कुछ विस्फोटकों के पास रख दिए गये | विस्फोट के बाद सूअर रक्त स्राव (खून बहने) के लिए छोड़ दिये गए जब तक कि वे अपने रक्त का तिहाई भाग खो नहीं दिये, यह देखने के लिये चिकित्सकीय हस्तक्षेप का प्रयोग करने में कितनी देर तक वे जीवित रह सकते हैं |9

शारीरिक हमलों के प्रति प्रतिरोध की जांच के लिये परीक्षण (प्रयोग)

अन्य मामलों में ये ख़ास हथियार नहीं, बल्कि कुछ ख़ास तरह की शारीरिक हानि के प्रति प्रतिरोध जांचे जाते हैं |

  • चूहे उबलते पानी में 10 सेकंड के लिये डुबाये गये, जिसके बाद उनमें से कई अपने शरीर के हिस्सों पर बुरी तरह संक्रमित हुये जो जल गये थे |
  • अन्य परीक्षण चूहों को बाल छील के और एथेनॉल से ढंक कर शामिल करता है; तर (भीग) जाने पर, वे “आग पर रखे” जाते हैं |10
  • चूहे कार्बन मोनोऑक्साइड ग्रहण करने के लिये भी बाध्य किये जाते हैं जब तक कि वे मर ना जाएँ |

अन्य परीक्षणों में 15 मिनट से अधिक समय तक चूहों का रक्त बहता रहा और फिर वे पुनर्जीवित हुये | फिर वे या तो मर गये या एक दिन के भीतर मार दिए गये |11 बन्दर भी ध्यान देने योग्य शारीरिक परीक्षण करने में नियोजित हुये हैं जैसे कि नीचे दिए गए उदाहरण:

  • जो बन्दर पहले बिजली के आघात दिए गए थे, उन्हें हवाई जहाज के नमूने उडाना सिखाने के लिये, वे नमूना हवाई जहाज में बंधे थे और गामा किरणों से विकिरणित किये गये यह देखने के लिये कि वे जीवित रह सकते हैं “10 घंटों के लिए जो एक नकली (माने गए) मास्को को विस्फोट से उड़ाने के लिए लग सकता है” | जो बन्दर गामा किरणों की अधिकतम खुराकों से पीड़ित पीड़ित हुये उन्होंने बुरी तरह उल्टी की | बाद में वे मार दिए गए |12
  • कई रसायन अक्सर जानवरों पर जांचे जाते हैं | उदाहरण के लिए एक तंत्रिका तत्त्व सोमन बंदरों में जांचा गया है |13 यह रसायन उन्हें तीव्र अकडन पहुंचाता और अंततः उन्हें मार देता है |

कुछ अन्य जानवरों ने रसायनों के साथ समान परीक्षण सहा है:

  • गुएना के सूअरों को भी सोमन दिया गया है, जो ज़हर के कारण श्वसन तंत्र ख़राब होने से मर गए |14
  • रासायनिक हथियार ल्यूसाइट जो छालों और फेफड़े में खुजली का कारक है, खरगोशों की छिली हुई पीठ पर लगाया गया है, लगभग 30 दिनों में उनकी दर्दनाक मौत का कारक बनते हुये |
  • चूहों पर ज़हरीली गैस परफ़्लोरोसोब्युटेन इस्तेमाल की गई है, ऐंठन का कारक होती हुई |15

विपरीत परिस्थितियों के प्रति प्रतिरोध जांचने के लिये परीक्षण

अन्य प्रकार के परीक्षण में, जानवर विभिन्न तरीकों से आहत किये जाते हैं यह देखने के लिए कि खास तरह की चरम (सख्त) परिस्थितियों में वे कितना प्रतिरोध कर पाते हैं:

  • विसंपीडन अस्वस्थता की जांच पड़ताल करने वाले परीक्षणों की श्रृंखला में, बकरियां बांध कक्षों में राखी गई थीं जो अत्यंत दबाव में थे | ये परीक्षण 50 वर्षों तक जारी रहे जब तक कि अंततः वे 2008 में बंद नहीं हो गए |16

सैन्य शल्य चिकित्सकीय तकनीकों की जांच के लिए परीक्षण

अन्य मामलों में, डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने के लिए कि मनुष्यों का इलाज कैसे हो, जानवर नुकसान पहुंचाए जाते हैं | नीचे कुछ उदाहरण हैं:

  • “घाव प्रयोगशाला” के नाम से ज्ञात एक प्रयोग में निलंबित जानवर होते हैं जो कभी-कभार होश में होते और गोली मार दिए जाते हैं | फिर वे सैन्य शल्य चिकित्सा के लिए अभ्यास की तरह इस्तेमाल होते हैं | न्यूयॉर्क टाइम्स ने वर्ष 2006 में एक ख़बर छापी जिसमें उनसे कहा गया कि उन परीक्षणों में से एक में एक सूअर “9 मिलीमीटर की पिस्तौल से दो बार, और फिर छः बार एक एके-47 से, और फिर दो बार 12-गेज की शॉटगन से चेहरे पर दागा गया, और फिर वह आग पर तैयार (रखा) गया” |17
  • अन्य मामले में 990 बकरियां शामिल थीं जिनके पैर टूटे और विच्छेदित थे | नीचे दिये अनुसार यह बताया गया था: “फोर्ट सैम हस्टन में प्रशिक्षक अरमंड फेर्मिन ने पेड़ काटने की आरी (ट्री ट्रिमर) पैर के जोड़ पर रखा, उसे बंद किया, दबाव लगाया और अलके प्रकाशित टेंट के भीतर ‘क्रैक’ गूंजा” |18

आगे की पढाई

Barnard, N. D. (1986) Animals in military wound research and training, Washington, D. C.: Physicians Committee for Responsible Medicine.

Block, E.; Lottenberg, L.; Flint, L.; Jakobsen, J. & Liebnitzky, D. (2002) “Use of a human patient simulator for the advanced trauma life support course”, The American Surgeon, 68, pp. 648-651.

Brook, I.; Elliott, T. B.; Ledney, G. D.; Shoemaker, M. O., & Knudson, G. B. (2004) “Management of postirradiation infection: Lessons learned from animal models”, Military Medicine, 169, pp. 194-197.

Bruner, R. H. (1984) Pathologic findings in laboratory animals exposed to hydrocarbon fuels of military interest (No. AD-A-166343/4/XAB; NMRI-84-76), Bethesda: Naval Medical Research Inst.

Dacre, J. C., & Goldman, M. (1996) “Toxicology and pharmacology of the chemical warfare agent sulfur mustard”, Pharmacological Reviews, 48, pp. 289-326.

Mayorga, M. A. (1994) “Overview of nitrogen dioxide effects on the lung with emphasis on military relevance”, Toxicology, 89, pp. 175-192.

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Ritter, E. M. & Bowyer, M. W. (2005) “Simulation for trauma and combat casualty care”, Minimally Invasive Therapy & Allied Technologies, 14, pp. 224-234.


टिप्पणियाँ

1 Budkie, M. A. (2012) “Military animal research”, Medical Research Modernization Committee [अभिगमन तिथि 6 जुलाई 2013].

2 House of Commons of the United Kingdom (2010) “Written answers to questions, 24 Mar. 2010: Column 295W”, Publications and records, UK Parliament, 24 Mar 10 [अभिगमन तिथि 23 अक्टूबर 2011].

3 Knudsen, P. J. & Darre, E. M. (1996) “Training in wound ballistics: Operation exercise at the Defence Medical Training Centre”, Journal of Trauma, 40, suppl. 3, pp. S6-S9. Chivers, C. J. (2006) “Tending a fallen Marine, with skill, prayer and fury”, New York Times, Nov. 2 [अभिगमन तिथि 14 अप्रैल 2013]. Butler, F. K.; Holcomb, J. B.; Giebner, S. D.; McSwain, N. E. & Bagian, J. (2007) “Tactical combat casualty care 2007: Evolving concepts and battlefield experience”, Military Medicine, 172, suppl. 11, pp. 1-19. Gaarder, C.; Naess, P. A.; Buanes, T. & Pillgram-Larsen, J. (2005) “Advanced surgical trauma care training with a live porcine model”, Injury, 36, pp. 718-724. Gala, S. G.; Goodman, J. R.; Murphy, M. P. & Balsam, M. J. (2012) “Use of animals by NATO countries in military medical training exercises: An international survey”, Military Medicine, 177, pp. 907-910.

4 Winfield, G. (2007) “Stress relief”, CBRNe World, winter [अभिगमन तिथि 14 सितम्बर 2013].

5 Rawstorne, M. (2010) “Is it really right to blow up pigs even if it saves our soldiers’ lives?”, Daily Mail, 28 May [अभिगमन तिथि 11 दिसंबर 2012].

6 Brown, R. F. R.; Jugg, B. J. A.; Harban, F. M. J.; Ashley, Z.; Kenward, C. E.; Platt, J.; Hill, A.; Rice P. & Watkins, P. E. (2002) “Pathophysiological responses following phosgene exposure in the anaesthetized pig”, Journal of Applied Toxicology, 22, pp. 263-269.

7 Dury, I. (2010) “MoD blew up 119 live pigs in explosive tests”, Daily Mail, 21 May [अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2013].

8 Brook, T. V. (2011) “Brain study, animal rights collide: Red flags raised by use of pigs in military blast tests”, USA Today, 28 March.

9 Rawstorne, M. (2010) “Is it really right to blow up pigs even if it saves our soldiers’ lives?”, op. cit.

10 Dai, T.; Kharkwal, G. B.; Tanaka, M.; Huang, Y. Y.; Arce, V. J. B. de & Hamblin, M. R. (2011) “Animal models of external traumatic wound infections”, Virulence, 2, pp. 296-315.

11 Handrigan, M. (2004) “Choice of fluid influences outcome in prolonged hypotensive resuscitation after hemorrhage in awake rats”, Shock, 23, pp. 337-343.

12 Singer, P. (2009 [1975]) Animal liberation, reissue ed., New York: Harper Perennial Modern Classics, ch. 2.

13 Helden, H. P. van; Wiel, H. J. van der; Lange, J. de; Busker, R. W.; Melchers, B. P. & Wolthuis, O. L. (1992) “Therapeutic efficacy of HI-6 in soman-poisoned marmoset monkeys”, Toxicology and applied pharmacology, 115, pp. 50-56. Raveh, L.; Grauer, E.; Grunwald, J.; Cohen, E. & Ashani, Y. (1997) “The stoichiometry of protection against soman and VX toxicity in monkeys pretreated with human butyrylcholinesterase”, Toxicology and Applied Pharmacology, 145, pp. 43-53.

14 Chang, F. C. T.; Foster, R. E.; Beers, E. T.; Rickett, D. L. & Filbert, M. G. (1990) “Neurophysiological concomitants of soman-induced respiratory depression in awake, behaving guinea pigs”, Toxicology and Applied Pharmacology, 102, pp. 233-250.

15 Romano, J. A., Jr.; Lukey, B. J. & Salem, H. (eds.) (2007) Chemical warfare agents: Chemistry, pharmacology, toxicology, and therapeutics, London: CRC Press.

16 BBC (2008) “UK navy to end goat experiments”, BBC News, 6 February [अभिगमन तिथि 21 नवंबर 2012].

17 Christenson, S. (2008) “Goats die so GIs have a chance at living”, San Antonio Express-News, 3 Aug.

18 Some organizations have questioned whether these tests can provide reliable results.