प्रसाधन सामग्री और घरेलू उत्पादों का परीक्षण

प्रसाधन सामग्री और घरेलू उत्पादों का परीक्षण

प्रसाधन सामग्री के उत्पादन के लिए जानवरों पर परीक्षण उन क्षेत्रों में से एक है जिसमें जानवरों का इस्तेमाल होता है | इसमें विभिन्न देशों में लाखों जानवरों की मौतें शामिल हैं जो इस प्रक्रिया में कई विभिन्न तरीकों से हानिग्रस्त होते हैं | ख़रगोश, गुनिया सूअर, चूहे और मूस आमतौर पर जानवरों पर परीक्षण के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं | वे जलाये, विकृत, ज़हर देना और गैस दिए जाते हैं, और यदि वे प्रक्रिया को पूरा करते हुये बच जायें, तो वे या तो मार दिये जाते हैं जिससे उनके शरीर का अध्ययन किया जा सके या इसके अलावा वे फिर से उसी यातना के अधीन होते हैं |

यह क्यों होता है? प्रसाधन सामग्री के लिए जानवरों पर परीक्षण मुख्य रूप से इसलिए होता है क्योंकि प्रति वर्ष हजारों प्रसाधन सामग्री और घरेलू उत्पाद बाज़ार में आते हैं | बहुत से देशों में, ये सभी नै प्रसाधन सामग्रियां जानवरों पर जाँची जाती हैं | कभी-कभी यह अंतिम उत्पाद होते हैं जो परीक्षण किये जा चुके हैं, और अन्य समय में उनमें व्यक्तिगत घटक (अवयव) इस्तेमाल किये जाते हैं |

यह नहीं होता यदि बाज़ार में पहले से बेचे जा चुके उत्पाद पहले से बाज़ार में होते और पहले परीक्षण किये जा चुके होते | किन्तु कम्पनियाँ जनता के लिये हर साल प्रयास करने के लिये नये मत प्रस्तावित कर एक-दूसरे से प्रतियोगिता करती हैं | अतः नियमित रूप से बदलते बाज़ार के साथ, उनके उत्पादों की जांच के लिये जानवरों का इस्तेमाल उनकी पीड़ा और मौत को जारी रखते हुये, यह एक कभी समाप्त ना होने वाली प्रक्रिया है |

यूरोपियन यूनियन, भारत, और कुछ अन्य जगहों में, प्रसाधन सामग्री और बेचे जाने वाले उत्पाद दोनों के लिये जानवरों पर परीक्षण जो कहीं और हुआ है, वर्तमान में प्रतिबंधित है | इसका अर्थ है कि, कम से कम सैद्धांतिक रूप में, हर प्रसाधन उत्पाद जो आप खरीद सकते हैं वे जानवरों पर परीक्षण किये हुये नहीं होंगे | जो लोग जानवरों पर परीक्षण को सहयोग नहीं करना चाहते वे उन जगहों पर बिना किसी ख़ास ब्रांड का चुनाव किये प्रसाधन सामग्री खरीद सकते हैं | यह इस तौर पर महत्वपूर्ण है जबकि वैश्विक प्रसाधन उत्पाद का लगभग आधा यूरोपियन यूनियन में है |1 भारत में बाज़ार काफ़ी छोटा है, किन्तु दिया गया प्रतिबन्ध यहाँ रहने वाली वैश्विक जनसँख्या का करीब 1/6 के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिये अंततः यहाँ एक बड़ा प्रसाधन बाज़ार विकसित हो सकता है | प्रसाधन सामग्री के लिये जानवरों पर परीक्षण एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हम जानवरों के इस्तेमाल के अंत की ओर हुई प्रगति देख रहे हैं, जो कि महत्वपूर्ण है हालाँकि तब भी जब इस उद्देश्य के लिये मारे गये जानवरों की संख्या दूसरे कारणों के लिए मारे गए जानवरों की संख्या की तुलना में कम है | इस प्रगति के बावजूद, विश्व के कई हिस्सों में प्रसाधन परीक्षण करने के लिये जानवरों पर परीक्षण होना जारी है |

परीक्षण करने के प्रकार

जानवरों के इस्तेमाल में शामिल प्रक्रियायें परिवर्तनशील हैं, किन्तु उत्पादों का चिपचिपी झिल्ली पर जांच करना सामान्य है, जैसे कि आँखें, जिसका अंत जलना हो सकता है | अन्य मामलों में, जानवर की जल (झुलस) चुकी त्वचा, अल्सर, रक्तस्राव, और अन्य चोटों की परिणामी है |

ड्रेज़ परीक्षण

ड्रेज़ परीक्षण एक पदार्थ की विषाक्तता मापने के लिये किया जाता है | एक जानवर बंदी बना लिया जाता है और जिस पदार्थ का परीक्षण किया जाना है उसे जानवर की त्वचा या आँख में लगाया जाता है | जानवर की आँख खुले रखने के लिये क्लिप का इस्तेमाल हो सकता है | पदार्थ के प्रभाव देखने के लिए उसे लगभग 14 दिनों तक त्वचा या आँख पर छोड़ा जा सकता है | जानवर मर जाते हैं यदि उन्हें होने वाला नुकसान स्थिर है: दुर्भाग्य से जो स्थिर चोटों से पीड़ित नहीं होते वे “धोये” जाने के बाद फिर से इस्तेमाल किये जाते हैं | ड्रेज़ परीक्षण अल्सर, रक्तस्राव, धुंधलापन, और अंधेपन का कारक हो सकते हैं | कुछ जानवर जैसे कि ख़रगोश (जो आमतौर पर ड्रेज़ परीक्षण में इस्तेमाल किए जाते हैं), मनुष्य से कम मात्रा में आंसू उत्पन्न करते हैं और इसके बाद इन परीक्षणों में अत्यंत दर्द से गुज़रते हैं |2

तीव्र विषाक्तता

तीव्र विषाक्तता परीक्षण में जानवर तीन महीनों तक बार-बार रसायनों का प्रभाव सहने के लिये बाध्य किये जाते हैं | यह परीक्षण अंगों पर रसायन के प्रभावों की जांच करने हेतु हो सकता है जैसे कि फेफड़े, लीवर, ह्रदय, और तंत्रिका तंत्र | इन परीक्षणों के दौरान परीक्षण किये जाने के लिये बलपूर्वक रसायन खिलाये जा सकते हैं, उनमें रसायन सीधे अन्तःक्षिप्त किये जा सकते हैं, या जानवर एक नली में डाले जा सकते हैं (उदाहरण के लिए, चूहे के मामले में) और पदार्थ अंतर्ग्रहण करने के लिए बाध्य किये जाते हैं | इस प्रकार के अध्ययन चूहे साथ ही साथ कुत्ते जैसे जानवर भी इस्तेमाल होते हैं | ये परीक्षण पकडे जाने, बंधक बनने, बलपूर्वक खिलने और कुछ रसायनों के भयानक प्रभावों के कारण सहने के लिये बाध्य किये जाने वाले जानवरों हेतु बड़ी मात्रा में पीड़ा के कारक होते हैं | इन परीक्षणों के दौरान जानवर आक्षेप, दौरे, पक्षाघात और मृत्यु से पीड़ित होते हैं |3

त्वचा का झड़ना और खुजली

विभिन्न पदार्थों के कारण होने वाले त्वचा क्षरण या खुजली की मात्रा को मापने के लिये परीक्षणों में खरगोश इस्तेमाल किये जाते हैं | यह ख़रगोश को पिंजरे में डाल, उसकी पीठ पर फर के भाग को शेव करके और शेव किये गए हिस्से पर रसायन लगाकर किया जा सकता है | फिर यह हिस्सा कई घंटों के लिये गाज से ढँक दिया जाता है | फिर गाज का गुच्छा हटाया और त्वचा के ख़राब होने की मात्रा या खुजली मापी जाती है | यह इस तरह से 14 दिनों तक हो सकता है, और इस दौरान हो सकता है खरगोशों को दर्दनिवारक ना दिए जायें | ये परीक्षण अक्सर उपयोगी नहीं हैं, रसायन ने जो नुकसान किया है उसकी माप उच्च रूप से व्यक्तिपरक है |4

त्वचा संवेदन

त्वचा संवेदी परीक्षण किसी रसायन की एक एलर्जिक प्रतिक्रिया की क्षमता को पहचानने के लिए किये जाते हैं |5 रसायन त्वचा पर लगाए या इसके नीचे अन्तःक्षिप्त किये जा सकते हैं | ये परीक्षण अल्सर, पपड़ी उतरना और जलन का कारक होते हैं | रसायनों की पहचान त्वचा को हुये नुकसान से की जाती है जो की बहुत ही व्यक्तिपरक है, और अक्सर इन परीक्षणों से प्राप्त परिणाम उपयोगी नहीं होते | ये परीक्षण मनुष्यों और परीक्षणों में इस्तेमाल होने वाले जानवरों के बीच बड़े मानसिक असमानताओं (अंतर) के कारण भी अनुपयोगी हो सकते हैं |

टोक्सिको कैनेटीक्स

ये परीक्षण विषाक्त रसायनों के शरीर में फैलने की गति को जानने में इस्तेमाल किये जाते हैं | रसायनों को शरीर के चयापचय करने पर कुछ रसायन अधिक विषाक्त हो जाते हैं | एक जानवर को कोई रसायन बलपूर्वक खिलाया, अंतर्ग्रहण या अन्तःक्षिप्त कर इसका डोज दिया जा सकता है | रक्त नमूने समय अंतराल पर लिए जाते हैं और जानवर निस्संदेह रूप से मर जाता है | प्रजातीय शरीर विज्ञान और और लीवर एंजाइम में अंतर अक्सर मनुष्यों के बहिर्वेशन के लिए इन परीक्षणों के परिणामों को बेदर (बेकार) कर देते हैं |6

कैंसरकारी

कार्सिनोजेन वे पदार्थ हैं जो कैंसरजन्य कोशिकाओं को बढ़ने की कारक होती हैं, या बढ़ने का ख़तरा पैदा करती हैं | इन परीक्षणों में, रसायन जानवरों पर परीक्षण में ट्यूमर का विकास शुरू करने के लिये इस्तेमाल किये जाते है जिस रसायन की जांच की जा रही है वह जानवर की त्वचा पर लगाया, उसे निगलाना या मुंह से खिलाया जाता है | दो साल बाद जानवर मार दिया और जांचा जाता है | इन परीक्षणों के परिणाम बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किये जाने वाले जानवरों की प्रजातियों और नस्लों पर निर्भर करती हुई परिवर्तनशील हो सकती है |

पुनरुत्पादक & विकासात्मक विषाक्तता

इन परीक्षणों का उद्देश्य एक जानवर, आमतौर पर चूहे, मूस और ख़रगोश की जननक्षमता और पुनरुत्पादक अंगों पर एक पदार्थ के प्रभावों का अध्ययन करना है | रसायन विभिन्न रास्तों से दिए जा सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि मनुष्य कैसे इस पदार्थ के संपर्क में आयेंगे | आमतौर पर जानवरों को उनके गर्भधान के पहले और इस दौरान रसायन दिए जाते हैं | नर जानवरों को भी प्रजनन के पहले रसायन दिए जाते हैं |

कभी-कभी गाभिन जानवर बच्चा देने के पहले मार दिए जाते हैं और उनकी भ्रूण की जांच की जाती है | अन्य मामलों में रसायन बच्चों के साथ-साथ मां को भी दिया जाता है, और कुछ परीक्षणों में, जानवरों की दूसरी पीढ़ी को | कभी-कभी मातायें अधिक से अधिक बीस बच्चे देने के लिये बाध्य की जाती हैं, जो कि यह भी परीक्षण के प्रति अधीन है | अचानक गर्भपात, असमय प्रसव और जन्म में दोष सामान्य हैं | जानवरों की दो पीढ़ियों पर परीक्षण करने वाले अध्ययन, 2000 से अधिक जानवरों का इस्तेमाल कर सकते हैं |

अक्सर ये परीक्षण इन परीक्षणों में इस्तेमाल किये जाने वाले जानवरों के जीवन और पुनरुत्पादन चक्र में बड़े अंतर के कार, इस्तेमाल किये गए जानवरों की आनुवांशिक समानताओं के कारण, जो मनुष्य जनसँख्या में प्रतीत नहीं हुई हैं, अक्सर ये परीक्षण मानवीय औषधि के क्षेत्र में उपयोगी जानकारी उपलब्ध नहीं कराते | ख़रगोश में सकारात्मक पूर्वानुमान केवल 40%, के साथ-साथ ग़लत सकारात्मक दर 40% हो सकती है |7

जानवरों पर परीक्षण ना करने वाली कम्पनियाँ

यहाँ अब कई कम्पनियाँ हैं जिन्होंने प्रसाधन सामग्रियों के उत्पादन के लिए जानवरों पर परीक्षण करना छोड़ दिया है | इनमें वे कम्पनियाँ शामिल हैं जिनमें नैतिक दृष्टिकोण है और इस उद्देश्य के लिए जानवरों के इस्तेमाल का विरोध करती हैं | इसमें वे कम्पनियाँ भी शामिल हैं जिनका उद्देश्य केवल किफ़ायती है | उन्होंने जानवरों पर परीक्षण नहीं करने का निर्णय लिया क्योंकि वे देख चुके हैं कि यहाँ उत्पादों का एक बढ़ता बाज़ार है जो जानवरों पर जांचा नहीं गया है | यह बढता बाज़ार दिखाता है कि प्रगति इस विचार के विस्तार से हुई है कि हमें अमानुष जानवरों की परवाह करनी चाहिए | इसके अलावा, यहाँ कम्पनियाँ है जिन्होंने जानवरों के बचाव में किये गए अभियानों के बाद जानवरों पर परीक्षण बंद करना तय किया है |

इन कंपनियों में नीचे दी गई बातें शामिल हैं:

जानवरों पर परीक्षण ना करने वाली कम्पनियाँ

जैसा कि हमने ऊपर देखा, यूरोपियन यूनियन और भारत में जो प्रसाधन सामग्री खरीद रहे हैं उन्हें उन उत्पादों के लिए जो जानवरों पर परीक्षण नहीं किये गए हैं उन्हें खोजने के लिए इस सूची में नहीं देखना होगा, हालाँकि हो सकता है वे उन कंपनियों की सहायता करने के लिये जिन्होंने एक नैतिक दृष्टिकोण अपनाया है, इस सूची की कंपनियों से खरीदने को प्राथमिकता दें |

जानवरों पर परीक्षण करने वाली कम्पनियाँ

यहाँ ऐसी कम्पनियाँ भी हैं जो जानवरों पर परीक्षण खुद नहीं करतीं, लेकिन फिर भी अपने उत्पादों में उन तत्वों (घटकों) का इस्तेमाल करती हैं जो अन्य कंपनियों द्वारा जानवरों पर जांचे गए हैं | यहाँ ऐसी भी कम्पनियाँ हैं जो अपने उत्पाद जानवरों पर नहीं जांचती पर उनके कुछ घटक जानवरों के मूल हैं |

कुछ कम्पनियाँ जिन्होंने अधिकतर बाज़ारों के लिये जानवरों पर परीक्षण करना परित्यक्त कर दिया था, चीन में अपने उत्पाद बेचने के क्रम में पुनः परीक्षण शुरू कर दिया है (जैसे Estee Lauder, Avon, L’Occitane, Mary Kay, Yves Rocher or Caudalie) | यह इसलिए हुआ क्योंकि चीन के प्राधिकारी कंपनियों से मांग करते हैं कि वहां बेची जाने वाली प्रसाधन सामग्री का जानवरों पर परीक्षण हुआ हो |8 हालाँकि यह मांग 7 जुलाई 2014 से प्रतिबंधित थी | अब यहाँ ऐसी विधियाँ हैं जो उतनी ही या उससे भी ज्यादा प्रभावी हैं जिनमें जानवर इस्तेमाल होते हैं | अधिक महत्वपूर्ण रूप से, इस प्रक्रिया में शामिल होना जानवरों को नैतिक महत्व देना और प्रजातिवाद के विरुद्ध तर्कों को नज़रअंदाज़ (अनदेखी) करने के कारणों की मांग करती है |

इन कंपनियों में से कुछ ने लम्बे समय से जानवरों पर परीक्षण नहीं किया है, लेकिन चीन में अपने उत्पाद बेचने के क्रम में ऐसा करना शुरू कर दिया है | अब उन्हें यह करने की ज़रूरत नहीं है और यह देखा जाना रह जाता है कि भविष्य को लेकर उनकी क्या योजना रहेगी | हालाँकि, इस पर ध्यान देना रोचक है कि वास्तव में कुछ कम्पनियाँ वहां अपने उत्पाद बेचने का चुनाव नहीं करतीं और जानवरों पर परीक्षण के लिये ज़रूरी नियम के पास होने से पहले बदलने के लिये चीनी प्राधिकारियों पर दबाव बनाती हैं | LUSH कंपनी ने ऐसा किया | .9

चीन की तरह, कुछ अन्य जगहों में, जैसे कि यूनाइटेड स्टेट्स में प्रसाधन सामग्री के लिये जानवरों पर परीक्षण करना प्रतिबंधित नहीं है, वैस ही जैसे युरोप में | किन्तु, कभी-कभी इसके विपरीत विचार, कि यूनाइटेड स्टेट्स में बेचे जाने वाले उत्पादों का जानवरों पर परीक्षण किया जाना वैध रूप से ज़रूरी नहीं है |

यूनाइटेड स्टेट्स में अक्सर इस बारे में यह दुविधा है क्योंकि जो कम्पनियाँ प्रसाधन सामग्रियों के लिए जानवरों पर परीक्षण करती हैं वे अक्सर विरोध करती हैं कि वे ऐसा करने के प्रति आभारी हैं | वास्तव में, वे आभारी नहीं हैं | भोज्य और औषधि प्रशासन (एफ डी ए) की एकमात्र आवश्यकता यह है कि प्रमाणित करने के लिए उत्पादों का परीक्षण किया जाना, कि वे विषाक्तता परीक्षणों के प्रति सुरक्षित हैं | यहाँ ऐसी कोई ज़रुरत नहीं है कि ये परीक्षण जानवरों पर किये जायें |

यह जानवरों पर परीक्षण करने वाले जानवरों की एक सूची है:

जानवरों पर परीक्षण करने वाली कम्पनियाँ

जानवरों का इस्तेमाल ना करते हुये परीक्षण करने की विधियाँ

प्रसाधन सामग्रियों के परीक्षण में यहाँ बड़ी संख्या में मानक विधियाँ हैं जो प्रयोगशालाओं में जानवरों के इस्तेमाल को शामिल नहीं करतीं | यहाँ कम्पनियाँ इसके अंत के लिये प्रतिबद्ध हैं | यह मुख्य रूप से यूरोपियन यूनियन की स्थिति के कारण है, जहां प्रसाधन कम्पनियों के पास उनकी परीक्षण परीक्षण विधियाँ विकसित करने के लिये बहुत समय था | हालाँकि वर्ष 2013 तक स्थायी प्रतिबन्ध नहीं लगा था, वर्ष 2003 में यह निर्णय लिया गया था कि प्रतिबन्ध दस साल बाद प्रभावी होगा (90 के दशक के शुरुआत में हुई एक चर्चा के बाद) |11

जानवरों का इस्तेमाल ना करते हुये परीक्षण करने के तरीकों में विट्रो परीक्षण, जेनोमिक और कंप्यूटर मॉडल और मानव सेवाकर्मियों का इस्तेमाल शामिल हैं | जनसँख्या अध्ययन, प्रारंभिक अध्ययन और दशकों के अनुसन्धान जो पहले ही हो चुके हैं, उनके द्वारा भी जानकारियां इकट्ठी हो सकती हैं |

यूरोप में प्रतिबन्ध का उपभोक्ताओं पर नकारात्मक प्रभाव नहीं है बल्कि इसका जानवरों के लिये सकारात्मक प्रभाव है | यह पैमाना बाकी विश्व के लिए भी लागू हो सकता है |
यह मुख्य रूप से प्रजातिवाद और आर्थिक हित हैं जो अन्य जगहों में हो रहे प्रसाधन सामग्रियों पर लगने वाले प्रतिबंधों को रोकते हैं | वे कम्पनियाँ जो प्रसाधन और घरेलू सामग्रियां बेचती हैं, प्रचार करती हैं ताकि प्रतिबन्ध अधिनियमित ना हों | जानवरों पर परीक्षण पर प्रतिबन्ध का अर्थ यह होगा कि इन कंपनियों को अपने कार्य करने का तरीका बदलना होगा, और इसमें उन्हें समय और अर्थ (धन) लगेगा | उन देशों में जहां उनका प्रचार काफी मजबूत है और जनता, कानून का पर्याप्त दबाव नहीं है, जानवरों पर प्रसाधन उत्पादों के परीक्षण पर प्रतिबन्ध लागू नहीं हो सकता | अन्य मामलों में, मौजूदा तंत्र को इस्तेमाल करने के प्रति यहाँ एक निष्क्रियता है जो इस तरह के नियमों को लागू किये जाने से रोकता है |

यह प्रतीत हो सकता है कि प्रसाधन सामग्री के परीक्षण के लिये जानवरों पर परीक्षण ख़ासतौर से अस्वीकार्य है, क्योंकि यह एक लक्ष्य है कि कई लोग तुच्छ समझेंगे | लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि शोषण करने के अन्य क्षेत्रों में जानवरों को हानि पहुँचाने वाले अन्य कारक स्वीकार्य हैं |

अधिक जानकारी के लिये आप हमारी आंकड़ों और उन संसाधनों के तरीकों के बारे में जो परीक्षण करने के लिये जानवरों का इस्तेमाल नहीं करते, से सम्बन्धित लिंक की सूची देख सकते हैं |


और पढ़े

Abbott, A. (2005) “Animal testing: More than a cosmetic change, Nature, 438, pp. 144-146.

Basketter, D. A.; Clewell, H.; Kimber, I.; Rossi, A.; Blaauboer, B.; Burrier, R.; Daneshian, M.; Eskes, C.; Goldberg, A.; Hasiwa, N.; Hoffmann, S.; Jaworska, J.; Knudsen, T. B.; Landsiedel, R.; Leist, M.; Locke, P.; Maxwell, G.; McKim, J.; McVey, E. A.; Ouédraogo, G.; Patlewicz, G.; Pelkonen, O.; Roggen, E.; Rovida, C.; Ruhdel, I.; Schwarz, M.; Schepky, A.; Schoeters, G.; Skinner, N.; Trentz, K.; Turner, M.; Vanparys, P.; Yager, J.; Zurlo, J. & Hartung, T. (2012) “A roadmap for the development of alternative (non-animal) methods for systemic toxicity testing”, ALTEX: Alternatives to Animal Experimentation, 29, pp. 3-91.

Dholakiya, S. L. & Barile, F. A. (2013) “Alternative methods for ocular toxicology testing: validation, applications and troubleshooting”, Expert Opinion on Drug Metabolism & Toxicology, 9, pp. 699-712.

Garthoff, B. (2005) “Alternatives to animal experimentation: The regulatory background”, Toxicology and Applied Pharmacology, 207, pp. 388-392.

Pauwels, M. & Rogiers, V. (2004) “Safety evaluation of cosmetics in the EU: Reality and challenges for the toxicologist”, Toxicology Letters, 151, pp. 7-17.

Pfuhler, S.; Fautz, R.; Ouédraogo, G.; Latil, A.; Kenny, J.; Moore, C. & Barroso, J. (2013) “The Cosmetics Europe strategy for animal-free genotoxicity testing: Project status up-date”, Toxicology in Vitro, 28, pp. 18-23.

Pinto, T. J. A.; Ikeda, T. I.; Miyamaru, L. L.; Santa, M. C.; Santos, B. R. & Cruz, A. S. (2009) “Cosmetic safety: Proposal for the replacement of in vivo (Draize) by in vitro test”, The Open Toxicology Journal, 3, pp. 1-7 [अभिगमन तिथि 23 अप्रैल <f2017].

Rice, M. J. (2011) “The institutional review board is an impediment to human research: the result is more animal-based research”, Philosophy, Ethics, and Humanities in Medicine, 6, p. 12.

Robinson, M. K.; Cohen, C.; de Fraissinette, A.; Ponec, M.; Whittle, E. & Fentem, J. H. (2002) “Non-animal testing strategies for assessment of the skin corrosion and skin irritation potential of ingredients and finished products”, Food and Chemical Toxicology, 40, pp. 573-592.

Roguet, R.; Cohen, C.; Robles, C.; Courtellemont, P.; Tolle, M.; Guillot, J. P. & Pouradier Duteil, X. (1998) “An interlaboratory study of the reproducibility and relevance of Episkin, a reconstructed human epidermis, in the assessment of cosmetics irritancy”, Toxicology in Vitro, 12, pp. 295-304.

Speit, G. (2009) “How to assess the mutagenic potential of cosmetic products without animal tests?”, Mutation Research, 678, pp. 108-112.

Ziegler, O. (2013) EU regulatory decision making and the role of the United States: Transatlantic regulatory cooperation as a gateway for U. S. economic interests?, Wiesbaden: Springer VS, pp. 177-210.

Zuang, V. & Hartung, T. (2005) “Making validated alternatives available —the strategies and work of the European Centre for the Validation of Alternative Methods (ECVAM)”, Alternatives to Animal Testing and Experimentation, 11, pp. 15-26 [अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2020].


Notes

1 European Commission (2011) Questions impact assessment: 2013 Implementation Date Marketing Ban Cosmetics Directive: Annex 2, Brussels: European Commission.

2 Wilhelmus, K. R. (2001) “The Draize eye test”, Survey of Ophthalmology, 45, pp. 493-515.

3 Walum, E. (1998) “Acute oral toxicity”, Environmental Health Perspectives, 106, suppl. 2, pp. 497-503 [अभिगमन तिथि 12 जनवरी 2012]. Yam, J.; Reer, P. J.; Bruce, R. D. (1991) “Comparison of the up-and-down method and the fixed-dose procedure for acute oral toxicity testing”, Food and Chemical Toxicology, 29, pp. 259-263. Garattini, S. (1985) “Toxic effects of chemicals: Difficulties in extrapolating data from animals to man”, Critical Reviews in Toxicology, 16, pp. 1-29.

4 Hoffmann, S.; Cole, T. & Hartung, T. (2005) “Skin irritation: prevalence, variability, and regulatory classification of existing in vivo data from industrial chemicals”, Regulatory Toxicology and Pharmacology, 41, pp. 159-166.

5 Botham, P. A.; Basketter, D. A.; Maurer, T.; Mueller, D.; Potokar, M. & Bontinck, W. J. (1991) “Skin sensitization—a critical review of predictive test methods in animals and man”, Food and Chemical Toxicology, 29, pp. 275-286.

6 LaFollette, H. & Shanks, N. (1997) Brute science: Dilemmas of animal experimentation, New York: Routledge.

7 Bailey, J. (2008) “How well do animal teratology studies predict human hazard? – setting the bar for alternatives”, AltTox, September 3.

8 Wei, X. & Lei, Z. (2013) “Taking a humane look at cosmetics in Beijing”, China Daily USA, December 20 [अभिगमन तिथि 27 दिसंबर 2013].

9 इस कंपनी ने कहा: “हम समझते हैं कि यहाँ चीन में Lush के लिये एक बड़ी सम्भावना है और यह बड़े खेद की बात है कि हम बाज़ार में Lush को विकसित करने के लिये अनुप्रयोगों को स्वीकार करने में असमर्थ हैं | चीनी बाज़ार में उतरने के क्रम में, इस समय पंजीकरण प्रक्रिया इस बात कि मांग करती है कि हमारे उत्पाद जानवरों पर जांच किये हुये हों | […] हमारी कंपनी जानवरों पर परीक्षण नहीं करती और ऐसी किसी कंपनी या वितरक के साथ काम नहीं करती जो जानवरों पर परीक्षण करते हों | जैसा कि हमारी जानवर पर परीक्षण की विरोधी नीति हमारे व्यापर का एक मुख्य तत्त्व है, हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जो इसके लिये ख़तरा हो | जैसा कि हमने यह निर्णय लिया है कि हम चीन में तब तक प्रवेश नहीं करेंगे जब तक कि नियम बदल नहीं जाता | ” Lush (2015) “China”, lushcountries.com.

10 European Commission (2019) “Ban on animal testing”, Growth: Internal Market, Industry, Entrepeneurship and SMEs [अभिगमन तिथि 23 अप्रैल 2023].