प्रकृति में शत्रुता – यौन द्वंद्व

प्रकृति में शत्रुता – यौन द्वंद्व

यह लेख प्रकृति में शत्रुता के एक प्रकार पर विचार करता है । अन्य लेख “अंतरप्रजातीय द्वंद्व पर चर्चा” करता है । जबकि अन्य एक “समान प्रजातियों के सदस्यों के बीच लड़ाई पर विचार” करता है । जंगल में जानवरों की पीड़ा के तरीकों के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारा मुख्य पृष्ठ “जंगल में जानवरों की स्थिति” देखें ।

जंगल में जानवरों के बीच यौन – क्रिया अक्सर प्रतिरोधपूर्ण होती है ।1 कभी – कभी नर मादाओं पर संसर्ग के लिए शारीरिक रूप से दबाव, उनके मान ना जाने तक परेशान करने,2 या संसर्ग से इनकार पर दण्डित करने के द्वारा, उन्हें खुद से संसर्ग करने के लिए बाध्य करते हैं ।3 इसके अलावा, यहां शिशु हत्या के मामले भी हैं जहां पर मादाओं के साथ पुनरूत्पादन करने के क्रम में मादाओं के बच्चों को मार देते हैं । इसकी व्याख्या विस्तार में हम नीचे देखेंगे ।4

 

यौन अवपीड़न

जानवरों की कई प्रजातियों कीड़ों,5 मछलियों,6 पक्षी,7 बॉटल नोज्ड डॉल्फ़िन, और नर वानरों8 के अन्तर्गत यौन अवपीडन सामान्य है । पीड़ित सामान्यतः संघर्ष और बच निकालने का प्रयास करता है और अक्सर हमलावर द्वारा पकड़ लिया जाता है । कुछ मामलों में, यह गंभीर चोटों का परिणामी होता है जैसे जलीय पक्षियों में खाल उधेड़ना (सिर के ऊपर से खाल उतारना) । अकेले या समूहों में बलात्कार के प्रयास किए जा सकते हैं, जैसे नर बत्तखों के समूहों द्वारा की गई “बलात्कार – लड़ाइयां” ।9 घायल होने का ख़तरा बहुत है और इस घटना की गंभीरता चोटिल जानवर को डुबाने की ओर ले जा सकती है । नीचे हम विभिन्न प्रजातियों के नरों द्वारा किए गए यौन अवपीडन और मादा जानवरों पर उनके नकारात्मक प्रभावों के कुछ प्रकार की जांच पड़ताल करेंगे ।

 

स्तनधारी

नर जानवरों द्वारा किए जाने वाले अवपीड़क तरीके व्यापक रूप से अलग– अलग हैं, मादा जानवरों द्वारा झेली जाने वाली चोटों के प्रकारों के आधार पर । उत्तरी एलिफेंट सील अत्यंत रूप से बहुपत्निवादी और द्विरूपी हैं । वयस्क नर जिनका वजन एक वयस्क मादा के मुक़ाबले 11 गुना हो सकता है, समुद्र तटों और मादाओं के हरम को नियंत्रित करने के लिए लड़ते हैं । नर का “प्रेमालाप” व्यवहार प्रत्यक्ष और आक्रामक होता है । यदि मादा प्रतिरोध करती है, तो नर उस अपने भारी भरकम शरीर से जमीन पर धकेल देता है और बार– बार उसकी गर्दन के पीछे काटता है जब तक कि वह हार नहीं मान जाती । यह मादा के लिए गंभीर चोटों, काटने के घाव, टूटी पसलियों और आंतरिक रक्तस्राव का परिणामी हो सकता है । कुछ मामलों में, संसर्ग के दौरान मादा नर के द्वारा मार दी जायेगी । गलत जगह पर काटा जाना जानलेवा दिमागी क्षति और नर का बड़ा वज़न आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है या आंतरिक रक्तस्राव का कारक हो सकता है ।10

नीचे दिया गया वीडियो एक नर का मादा से बलपूर्वक संसर्ग करने को दिखाता है । उनके बीच वज़न में अंतर प्रतिरोध को निष्फल कर देता है ।

समुद्री और नदियों वाले ऊदबिलाव बहुपत्निवादी होते हैं, और मादाओं जिसके साथ वे संसर्ग करते हैं उनके प्रति अत्यंत आक्रामक होते हैं । संसर्ग सामान्यतः पानी के अंदर होता है, और नर मादा के थूथन पर काटते हैं, जो अक्सर घाव के निशान छोड़ते है, और कभी– कभी पानी में उसका सिर पकड़ लेते हैं । यह आक्रामक संसर्ग व्यवहार मादा की मौत का परिणामी होता है । समुद्री ऊदबिलाव की मृत्यु दर के पांच साल के निरिक्षकीय अध्ययन से पाया गया कि, 105 समुद्री ऊदबिलाव में से, संसर्ग आघात के कारण हुए नाक के घाव दो मादाओं की मृत्यु के प्रारंभिक कारण थे, और 9 अन्य की मृत्यु में सहायक कारक थे ।11

नीचे दिया गया वीडियो दो नदी ऊदबिलावों के संसर्ग को दिखाता है । ध्यान दें कि कैसे नर मादा को काटता है और उसका सिर पानी में दबाता है ।

यौन अवपीडन हमेशा प्रजातियों के भीतर नहीं होता है । नर ऊदबिलावों को शिशु सील का बलात्कार करते भी देखा गया है । ऐसी 19 घटनाएं वर्ष 2000 से 2002 के बीच मोनटेरे खाड़ी कैलिफोर्निया में दर्ज़ कि गईं12 जिसमें एक यह भी शामिल है:

एक दूध छुड़ाया हुआ सील का अनाथ पिल्ला तट से पर आराम कर रहा था जब एक नर समुद्री ऊदबिलाव उस तक पहुंचा, उसे अगले पंजों और दांतों से पकड़ा, नाक पर काटा और उसे पलट दिया । समुद्री ऊदबिलाव के क़रीब से पीछा करने के साथ अनाथ सील पानी कि ओर बढ़ा । एक बार पानी के अंदर, समुद्री ऊदबिलाव अपने अगले पंजों से अनाथ सील के सिर को कस के पकड़ लेता है और बार– बार उसकी नाक पर काट कर, गहरे रूप से पंगु बना देता है । समुद्री ऊदबिलाव और पिल्ला हिंसक रूप से लगभग 15 मिनट तक पानी में गोल घूमते हैं, जबकि पिल्ला समुद्री ऊदबिलाव के शिकंजे से खुद को आज़ाद करने के लिए संघर्ष कर रहा था । अन्ततः समुद्री ऊदबिलाव खुद को पिल्ले के छोटे शरीर पर व्यवस्थित करता है जबकि उसे पानी के अंदर समुद्री ऊदबिलावों के आम संसर्ग के आसान में उसका सिर कसे और पकड़े रहता है । जब समुद्री ऊदबिलाव ने अपने कूल्हे कि धकेला तो, उसका लिंग बाहर निकला और संसर्ग देखा गया । संघर्ष के 105 वें मिनट में, समुद्री ऊदबिलाव ने पिल्ले को मर हुआ छोड़ दिया, खुद को साफ़ करते हुए ।

 

शिशु हत्या

स्तनधारी

स्तनधारियों की कई प्रजातियों में शिशु हत्या नरों के लिए एक सामान्य पुनरूत्पादक योजना है । अक्सर मादाएं स्तनपान के दौरान अंडोत्सर्ग नहीं करतीं, यह एक नर की पुनरूत्पादक रूचि है जो मादाओं के एक समूह पर, पूर्व नर के बच्चों को मारने के लिए की गई है, मादाओं को उसके साथ संसर्ग के लिए उपलब्ध कराने के क्रम में । शिशु हत्या कई प्रजातियों नरमानवों सहित चिम्पांजी, वनमानुष, और लंगूरों13 में देखी गई है, साथ ही साथ शेरों14 और चूहों में ।15 कुछ स्तनधारी प्रजातियों में शिशु हत्या शिशु मृत्यु दर का एक महत्वपूर्ण कारण है । यह पर्वतीय गुरिल्ला16 में 21%, हनुमान लंगूरों17 में 31% से 38% और शेरों में लगभग 25% शिशु मृत्यु दर का कारण है ।18

नीचे दिया गया वीडियो बंदर मंडली के एक नेता का पूर्व नेता के बच्चों को मारने को दिखाता है । पुराने नेता को सफलतापूर्वक हराने और मंडली पर नियंत्रण कर लेने के बावजूद, मादाएं उसके साथ संसर्ग नहीं करेंगी, जबकि वे अब भी अपने बच्चों को पाल रही हैं । नया नेता इसलिए उनके जितने बच्चों को मार सकता है मारता है, उस समय की जल्दबाजी में जबकि मादाएं उससे संसर्ग करेंगी और यह तय कि उनका मातृत्व श्रम उसके बच्चों को पालने में जाए बजाय कि प्रतिद्वंदी के । एक शिशु पर उसके हमले की हिंसा, और एक माता का उससे चिपटे रहना और अपने मृत बच्चे के लिए शोक प्रकट करने पर ध्यान दें ।

 

पक्षी

अधिकतर नर पक्षियों में बाह्य जननांग नहीं होता । वे मादाओं के ऊपर संतुलन बनाकर और “क्लोकल किस” में मलद्वार साथ करके (क्लोआका कई जानवरों में एक खुला द्वारा होता है जो पाचन क्रिया, मूत्र विसर्जन, और पुनरूत्पादन में प्रयोग होता है) संसर्ग करते हैं । यह दबावयुक्त मैथुन को कठिन कर देता है । यहां नर पक्षी, जैसे कि बत्तखों ने लिंग उत्पन्न कर लिया है, ज़ाहिर तौर से दबावयुक्त मैथुन करने के क्रम में । इसने नरों और मादाओं के बीच एक “यौन अस्त्र दौड़” विकसित किया है ।19 नर का लिंग उसके लिए अनिच्छुक मादा के साथ मैथुन करने को आसान कर देता है, इस तरह मादा की साथी चुनने की क्षमता दबा दी जाती है । इससे मादाओं पर चुनने का दबाव पड़ा है, जो कोई भी बलपूर्वक संसर्ग से बचने में ज़्यादा सक्षम है वे बेहतर गुणवत्ता वाले साथी चुनने में सक्षम हैं, और इस तरह अपनी पुनरूत्पादन क्षमता बढ़ाने में । इस तनाव ने कुछ जलीय पक्षियों की योनि संरचना की जटिलता को बढ़ाने की ओर ले जाता है । दो मुख्य शारीरिक रचना संबंधी पद्धतियां विकसित हुई हैं: मृत्यु परक थैलियां, जहां एक अनचाही युग्मता का वीर्य बिना उसके अंडों को निषेचित किए निक्षिप्त हो सकता है, और दक्षिणावर्ती कुंडल, जो नरों के साथ दबावयुक्त मैथुन का प्रतिरोध करने में उन्हें आसानी प्रदान करता है उनके लिंग दक्षिणावर्ती कुंडल का सामना करते हैं । ये रूपांतर नरों को बड़े लिंग विकसित करने की ओर ले गए हैं । यह पाया गया है कि योनि संरचना की जटिलता नर की लिंग लंबाई के साथ विकसित हुई है, जो प्रजातियों में दबावयुक्त मैथुन की मात्रा के साथ बदलता है ।20

मादाओं में ये रूपांतरण उन्हें अपनी इच्छा के विरूद्ध निषेचित होने से बचने में मदद करते हैं, लेकिन वे उन्हें नर आक्रामकता से नहीं बचाते हैं या उनके आक्रमणों से हो सकने वाली पीड़ा, चोटों या यहां तक कि मौत से । यह आकलन किया गया है कि बत्तखों में कुल संसर्ग का 40% मजबूरन किया गया है । बिना जोड़ी का नर बत्तख हवा में मादाओं का कई किलोमीटर तक पीछा करेगा । जब वह उसे पकड़ता है, तो नर मादा की गर्दन को अपनी चोंच में पकड़ लेता है उसे खड़ा करने या मैथुन करने के लिए विवश करने से पहले उसके पंखों को उसकी पीठ पर पकड़ता है । बलपूर्वक मैथुन थल पर या जल में हो सकता है, और इसमें कई नर बत्तख शामिल हो सकते हैं । मादा बत्तख प्रतिरोध करती है, और वे बलपूर्वक मैथुन के दौरान चोटिल या यहां तक कि मर भी सकती है । उदाहरण के लिए, पानी में समूह का आक्रमण, मादा बत्तख के डूबने का परिणामी हो सकता है ।21

नीचे दिया गया वीडियो एक नर बत्तखों के समूह का एक मादा बत्तख का बलात्कार करना दिखाता है, पहले जल में फिर स्थल पर । उनके आक्रमण की हिंसा और कैसे वे उसका सिर पानी के नीचे पकड़ते है, इस पर ध्यान दें ।

 

अकशेरुकी

नर के अंडाणु श्रृंग में उनके जननांगों पर दृढ़ीकृत कांटे हैं, जिसका उपयोग वे संसर्ग में मादा के प्रतिरोध पर काबू पाने के लिए करते हैं, मैथुन नलिका में घुसने और मादा के भागने से रोकने हेतु खुद को जगह पर फंसाए रखने के लिए ।

इसके अलावा, अक्सर ये कांटे मादा को चोटिल कर देते हैं, संभावित रूप से मादा को अन्य नरों के साथ कम से कम संसर्ग करने के क्रम में । यह “दर्दनाक संसर्ग” का एक उदाहरण है जहां नर का संसर्ग व्यवहार जो कि मादा के लिए हानिकारक है, नर की पुनरूत्पादक योग्यता को बढ़ाता है । अंडाणु श्रृंग में (केलोसोब्रूचस मैकुलेटस), इस प्रतिरोधपूर्ण यौन संबंध ने पुनरूत्पादक शक्ति दौड़ को बढ़ाया है जिसमें नर और मादा ने कई रूपान्तरों को विकसित किया है, उदाहरण के लिए, नरों ने कांटेदार लिंग और मादाओं ने अपने पुनरूत्पादक अंगों में मोटी परत विकसित की है ।22

डिटीस्सिडाए परिवार के गोता लगाने वाले कीड़े शिकारी कीड़े हैं जो पानी में रहते हैं । यद्यपि वे अपना अधिकतर समय पानी के नीचे बिताते हैं, वे वातावरणीय आक्सीजन पर निर्भर हैं । वे प्रत्येक 8 से 15 मिनट में अपनी आक्सीजन पूर्ति के लिए सतह पर वापस आती हैं । यहां कई शारीरिक और व्यावहारिक रूपांतरण हैं जो विश्वसनीय रूप से नरों और मादाओं के बीच यौन शत्रुता द्वारा समझाया गया है । नर किसी प्रेमालाप व्यवहार में शामिल नहीं होते, बल्कि वे केवल गुजरने वाली मादाओं को पकड़ते हैं । मादा भृंग अस्थिर और हिंसक रूप से तैर कर खुद को हिलाने का प्रयास करते हुए नर भृंग से प्रतिरोध करती है ।23 कुछ प्रजातियों के नरों ने अपने अगले पैरों पर चूषक कप जैसा रूपांतरण विकसित कर लिया है जो उन्हें प्रतिरोध करने वाली मादाओं को पकड़े रहने में मदद करता है । मादाओं को संसर्ग के लिए बाध्य करने के क्रम में, नर उन्हें हिंसक रूप से झकझोरेंगे और पानी में जलमग्न रखेंगे । मैथुन के दौरान केवल नर को आक्सीजन पाने का अवसर है । उसके बाद नर मादा पर कम से कम 6 घंटे तक निगरानी रखता है, यह तय करने के लिए कि इस दौरान मादा अन्य नर के साथ संसर्ग ना करे, इस तरह अपना पितृत्व तय करता है । मैथुन के बाद निगरानी के काल के दौरान, नर मादा को जलमग्न रखता है, केवल थोड़े समय के लिए वह उसे सतह से ऊपर की ओर छोड़ता है जिससे कि वह अपनी आक्सीजन आपूर्ति की पुनः पूर्ति कर सके ।24

गेर्रीडाए, लंबीपाद जलकीट के नाम से ज्ञात, कीड़ों के परिवार से हैं जो पानी की सतह पर रहते हैं । लम्बीपाद जलकीट की अधिकतर प्रजातियों में मादा जननांग उघड़े हुए होते हैं, और नर मादा के साथ बलपूर्वक पकड़ कर संसर्ग करते हैं और अपना जननांग मादा की खुली योनि में प्रविष्ट करते हैं ।25 हालांकि, गेरिस ग्रेसी लिकोर्निस प्रजाति की मादाओं ने अपने जननांगों के ऊपर एक रक्षात्मक ढाल विकसित कर ली है, जो नरों के लिए मादाओं को संसर्ग हेतु शारीरिक रूप से मजबूर करने को असंभव बनाता है, ऐसे में संसर्ग नहीं हो सकता जब तक कि मादा अपना जननांग ना खोले । फिर मादाओं के साथ बलपूर्वक संसर्ग करने की बजाय गेर्रिस ग्रेसीलिकोरनिस प्रजाति के नर मादाओं को संसर्ग के लिए मजबूर करने के क्रम में डराना धमकाना करते हैं ।26 एक नर मादा पर सवार होकर शुरू करेगा । सवार होने की स्थिति में मादा नर की बजाय परभक्षियों से ज़्यादा ख़तरे में है, जबकि नर मादा के ऊपर है, इस दौरान मादा जलीय पक्षियों के प्रति दयनीय हालत में है । दयनीयता की इस विषमता को नर अपने फ़ायदे में इस्तेमाल करते हैं । सवार होने की स्थिति के दौरान वह अपने पैरों से पानी की सतह पर थपथपाना शुरू कर देता है । यह थपथपाना लहर उत्पन्न करता है जो परभक्षियों को आकर्षित करता है । परभक्षियों की पहुंच द्वारा मादा पर उत्पन्न संकट के कारण, जितनी जल्द हो सके मैथुन के लिए राज़ी हो जाने में उसकी रुचि हो जाती है । एक बार मानने और उसका जननांग खुलने पर, नर पानी पर थपथपाना बंद कर देता है और अब सुनम्य मादा के साथ संसर्ग शुरू करता है । नीचे दिया गया वीडियो इस डराने की तकनीक को क्रिया रूप में दिखाता है । नर के थपथपाने और मादा के संघर्ष पर ध्यान दें जब वह नर और उसकी ओर से आने वाले परभक्षी दोनों से बचने का प्रयास करती है ।

ड्रोसोफिला मेलानोगस्टर प्रजाति की नर फल मक्षिका (मक्खियां) अपने वीर्य– संबंधी तरल में रासायनिक पदार्थ प्रयोग करते हैं, जिन मादाओं के साथ वे संसर्ग करते हैं उनके प्रति शरीर क्रिया विज्ञान और व्यवहार को बदलने के लिए । ये पदार्थ मादा के अन्य नर के साथ संसर्ग के समय काल को बढ़ा सकते हैं या पूर्ण रूप से पुनः संसर्ग को रोक सकता है । ये उसके पुनरूत्पादक निर्गमन को भी बढ़ा सकता है । हालांकि, यह मादा के स्वास्थ्य की कीमत पर होता है, जैसे कि वे अपनी उम्र कम करने, प्रतिरोधक प्रतिक्रियाओं को रोकने, और अपनी भोजन करने कि आदत भी बदलती हैं ।27

यौन द्वंद्व उभयलिंगी जानवरों में भी होता है । उदाहरण के लिए, सिओगेबिकेरोस हारकोकानूस चपटेकृमि की एक प्रजाति है । प्रत्येक इकाई में दो लिंग के साथ– साथ अंडाशय भी है, और ये अन्य चपटेकृमि द्वारा निषेचित होने और निषेचन करने में असमर्थ हैं । हालांकि यौन विभिन्नताओं की प्रजातियों के साथ, निषेचित हुआ साथी निषेचन करने वाले की बजाय अधिक नुकसान उठाता है । इसके बाद उभयलिंगी चपटेकृमि “लिंग घेरे” करने में लग जाते हैं । ये वह गतिविधि है जिसमें दो चपटेकृमि अन्य को उसकी बाह्य त्वचा छेद कर वीर्य प्रविष्ट करके निषेचित करने के लिए संघर्ष करते हैं, जबकि खुद निषेचित होने से बचते हैं । फिर गर्भधारक साथी अधिक ऊर्जा की कीमत उठाते हुए, “माता” की तरह व्यवहार करता है । चपटेकृमि की कुछ प्रजातियों में, संघर्ष दो घंटे तक खिंच सकता है ।

नीचे दिया गया वीडियो लिंग घेरे करने में लगे दो उभयलिंगी चपटेकृमियों को दिखाता है:

निष्कर्ष रूप में, यौन द्वंद्व अत्यधिक सामान्य है । यह चपटेकृमि से बत्तखों, चिम्पांजियों से भृंगों तक कई प्रजातियों में पाया गया है । यह द्वंद्व कई रूप लेता है, शारीरिक आक्रामकता और बलात्कार, अस्त्र रूप में जननांग और वीर्य में गतिविधि बदलने वाले रसायन के साथ-साथ, और यहां तक कि शिशु हत्या । इससे होने वाली हानि की अधिकता में सीमा है, और इसमें गंभीर पीड़ा, भावनात्मक आघात, शारीरिक चोट और मृत्यु हो सकती है ।

जंगल में जानवरों की पीड़ा के तरीकों के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारा मुख्य पृष्ठ “जंगल में जानवरों की स्थिति” देखें । हम किन तरीकों से मदद कर सकते हैं, इस बारे में जानकारी के लिए हमारा मुख्य पृष्ठ “जंगल में जानवरों की मदद करना” देखें ।


आगे की पढाई

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टिप्पणियाँ

1 Gage, M. J. G.; Parker, G. A.; Nylin, S. & Wiklund, C. (2002) “Sexual selection and speciation in mammals, butterflies and spiders”, Proceedings of the Royal Society B: Biological Sciences, 269, pp. 2309-2316 [अभिगमन तिथि 8 अक्टूबर 2019].

2 Clutton-Brock, T. H. & Parker, G. A. (1995) “Sexual coercion in animal societies”, Animal Behaviour, 49, pp. 1345-1365.

3 Dougherty, L. R.; Lieshout, E. van; McNamara, K. B.; Moschilla, J. A.; Arnqvist, G. & Simmons, L. W. (2017) “Sexual conflict and correlated evolution between male persistence and female resistance traits in the seed beetle Callosobruchus maculatus”, Proceedings of the Royal Society B: Biological Sciences, 284 [अभिगमन तिथि 29 जुलाई 2019].

4 Gage, M. J. G.; Parker, G. A.; Nylin, S. & Wiklund, C. (2002) “Sexual selection and speciation in mammals, butterflies and spiders”, op. cit. Bergsten, J. & Miller, K. B. (2007) “Phylogeny of diving beetles reveals a coevolutionary arms race between the sexes”, PLOS ONE, 2 (6) [अभिगमन तिथि 2 सितंबर 2019].

5 Han, C. S. & Jablonski, P. G. (2010) “Male water striders attract predators to intimidate females into copulation”, Nature Communications, 1 [अभिगमन तिथि 4 दिसंबर 2019].

6 Garner, S. R.; Bortoluzzi, R. N.; Heath, D. D. & Neff, B. D. (2010) “Sexual conflict inhibits female mate choice for major histocompatibility complex dissimilarity in Chinook salmon”, Proceedings of the Royal Society B: Biological Sciences, 277, pp. 885-894 [अभिगमन तिथि 27 नवंबर 2019].

7 McKinney, F. & Evarts, S. (1998) “Sexual coercion in waterfowl and other birds”, Ornithological Monographs, 49, pp. 163-195.

8 Connor, R. & Vollmer, N. (2009) “Sexual coercion in dolphin consortships: A comparison with chimpanzees”, Muller, M. N. & Wrangham, R. W. (eds.) Sexual coercion in primates and humans: An evolutionary perspective on male aggression against females, Cambridge: Harvard University Press, pp. 218-243.

9 Bailey, R.; Seymour, N. R. & Stewart, G. (1978) “Rape behavior in blue-winged teal”, The Auk, 95, pp. 188-190.

10 Le Boeuf, L. J. & Mesnick, S. (1990) “Sexual behavior of male northern elephant seals: I. Lethal injuries to adult females”, Behaviour, 116, pp. 143-162.

11 Kreuder, C.; Miller, M. A.; Jessup, D. A.; Lowenstine, L. J.; Harris, M. D.; Carpenter, D. E.; Conrad, P. A. & Mazet, J. A. (2003) “Patterns of mortality in southern sea otters (Enhydra lutris nereis) from 1998-2001”, Journal of Wildlife Diseases, 39, pp. 495-509 [अभिगमन तिथि 22 अक्टूबर 2019].

12 Harris, H. S.; Oates, S. C.; Staedler, M. M.; Tinker, M. T.; Jessup, D. A.; Harvey, J. T. & Miller, M. A. (2010) “Lesions of juvenile harbor seals associated with forced copulation by southern sea otters”, Aquatic Mammals, 36, pp. 331-341.

13 Smuts, B. B. & Smuts, R. W. (1993) “Male aggression and sexual coercion of females in nonhuman primates and other mammals: Evidence and theoretical implications”, Advances in the Study of Behavior, 22, pp. 1-63.

14 Pusey, A. E. & Packer, C. (1994) “Infanticide in lions”, Parmigiani, S. & vom Saal, F. S. (eds.) Infanticide and parental care, Chur: Harwood Academic Press, pp. 277-300.

15 Perrigo, G.; Bryant, W. C. & Vomsaal, F. (1990) “A unique neural timing system prevents male mice from harming their own offspring”, Animal Behaviour, 39, pp. 535-539.

16 Robbins, A. M.; Gray, M.; Basabose, A.; Uwingeli, P.; Mburanumwe, I.; Kagoda, E. & Robbins, M. M. (2013) “Impact of male infanticide on the social structure of mountain gorillas”, PLOS ONE, 8 (11) [अभिगमन तिथि 3 अगस्त 2019].

17 Borries, C. & Koenig, A. (2000) “Infanticide in hanuman langurs: Social organization, male migration and weaning age”, Schaik, C. P. van & Janson, C. H. (eds.) Infanticide by males and its implications, Cambridge: Cambridge University Press.

18 Pusey, A. E. & Packer, C. (1994) “Infanticide in lions”, op. cit.

19 Brennan, P. L. R.; Prum, R. O.; McCracken, K. G.; Sorenson, M. D.; Wilson, R. E. & Birkhead, T. R. (2007) “Coevolution of male and female genital morphology in waterfowl”, PLOS ONE, 2 (5) [अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2019].

20 Coker, C. R.; McKinney, F.; Hays, H.; Briggs, S. & Cheng, K. (2002) “Intromittent organ morphology and testis size in relation to mating system in waterfowl”, The Auk, 119, pp. 403-413.

21 McKinney, F.; Derrickson, S. R. & Mineau, P. (1983) “Forced copulation in waterfowl”, Behaviour, 86, pp. 250-294 [अभिगमन तिथि 27 सितंबर 2019].

22 Dougherty, L. R.; Lieshout, E. van; McNamara, K. B.; Moschilla, J. A.; Arnqvist, G. & Simmons, L. W. (2017) “Sexual conflict and correlated evolution between male persistence and female resistance traits in the seed beetle Callosobruchus maculatus”, op. cit.

23 Bergsten, J. & Miller, K. B. (2007) “Phylogeny of diving beetles reveals a coevolutionary arms race between the sexes”, op. cit. Miller, K. B. (2003) “The phylogeny of diving beetles (Coleoptera: Dytiscidae) and the evolution of sexual conflict”, Biological Journal of the Linnean Society, 79, pp. 359-388 [अभिगमन तिथि 24 अक्टूबर 2019].

24 Ibid.

25 Han, C. S. & Jablonski, P. G. (2009) “Female genitalia concealment promotes intimate male courtship in a water strider”, PLOS ONE, 4 (6) [अभिगमन तिथि 2 अगस्त 2019].

26 Han, C. S. & Jablonski, P. G. (2010) “Male water striders attract predators to intimidate females into copulation”, op. cit.

27 Mazzi, D.; Kesäniemi, J.; Hoikkala, A. & Klappert, K. (2009) “Sexual conflict over the duration of copulation in Drosophila montana: Why is longer better?”, BMC Evolutionary Biology, 9 [अभिगमन तिथि 2 अगस्त 2019]. Chapman, T. (2001) “Seminal fluid-mediated fitness traits in Drosophila”, Heredity, 87, pp. 511-521 [अभिगमन तिथि 2 दिसंबर 2019].