मछली पकड़ने का खेल
Human hand holds the neck of a catfish with a hook and fishing gear in mouth.

मछली पकड़ने का खेल

मछली पकड़ने का खेल मनोरंजन के लिहाज से अब तक की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अमानुष जानवर सबसे ज्यादा घायल होते और मरते हैं | बड़ी संख्या में मछलियाँ और अन्य संवेदनशील प्राणी, जिनमें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र है जो उन्हें पीड़ित और आनंद महसूस करने की सम्भावना बनाता है, मानवीय खेल के लिए दर्दनाक घाव और मौत सहते हैं | यह आकलन किया गया है कि मछली पकड़ने के खेल के लिए प्रति वर्ष 10 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक जलीय जानवर पकडे जाते हैं |1 यह एक बड़ी संख्या है जो व्यापारिक रूप से मछली पकड़ने की संख्या का 1\8 है |

यदि हम दुनियाभर में मछली पकड़ने वाले लोगों की संख्या को ध्यान में रखें, केवल तभी हम समझ सकते हैं कि यह संख्या अविश्वसनीय रूप से कितनी बड़ी है | उदाहरण के लिए, यूएस में मछली पकड़ने वालों की संख्या 34 मिलियन से अधिक है |2 यह आकलन किया गया है कि करीब 12% लोग नियमित रूप से मनोरंजन हेतु मछली पकड़ने में शामिल हैं |3 यहाँ मछली पकड़ने के उपकरण उपलब्ध करने के लिए एक समूचा उद्योग, और दुनियाभर में सभी प्रकार के मछली सम्बंधित संघ और प्रतियोगिताएं हैं | यह आकलन किया गया है कि व्यापारिक रूप में मछली पकड़ने के उद्योगों द्वारा पकड़ी गई मछलियों की कुल संख्या 1 से 3 ट्रिलियन जानवरों के बीच हो सकती है | पकड़ी गई मछलियों के टन भार द्वारा आकलन की तुलना करने के आधार पर, यह आंकड़ा बता सकता है कि खेल मछली पार्कों द्वारा मारे जाने वाले जानवरों की संख्या प्रति वर्ष 125 से 375 बिलियन के बीच है, जो इस बारे में सोचने के लिए चौंका देने वाला आंकड़ा है | किन्तु यह आंकड़ा बहुत अधिक हो सकता है, जबकि मछली पकड़ने वाले उद्योगों द्वारा पकड़ी जाने वाली कई मछलियों बहुत छोटी हैं | इस दृष्टिकोण में, हम अन्य आकलनों को ध्यान में रख सकते हैं, जिसके अनुसार खेल के लिए प्रति वर्ष 47.10 बिलियन मछलियाँ पकड़ी जा सकती हैं |4 ये आंकड़े पकडे और छोड़ दिए जाने वाले क्रसटेसियन और मछलियों को अलग रखते हैं |

इस तरह से ख़त्म होने वाली जीवन संख्या के अलावा, यह प्रक्रिया इसमें शामिल जानवरों में चोटों और चिंता के कारण काफी पीड़ा का कारक भी है | यहाँ मछली पकड़ने के कई तरीके हैं, लेकिन अब तक का सबसे प्रसिद्ध है कांटा लगा के मछली पकड़ना, जो नदियों में, समुद्र तट पर नाव द्वारा किया जाता है | जहाँ यह होता है उस इलाके में रहने वाली कई प्रकार की मछलियों को यह निशाना बना सकता है |

काँटों के शिकार जानवरों की पीड़ा

अधिकतर मछलियाँ एक हुक द्वारा जबड़े से फंसाई जाती हैं | जबड़ा एक संवेदनशील हिस्सा है इसलिए वहां घायल होने पर मछलियाँ बहुत दर्द महसूस कर सकती हैं | अन्य मामलों में वे मुंह से नहीं बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों द्वारा पकड़ी जाती हैं | उनकी आँखों, गले, या आँतों, के साथ अन्य हिस्सों में घाव हो सकते हैं | हुक नुकीले भी हो सकते हैं, इस तरह उनके ग्रसित होने के नुकसान को बढाते हुये | और कभी-कभी हुक मछलियों द्वारा वास्तव में निगल लिए जाते हैं |

जैसा कि हम कल्पना कर सकते हैं, हुक में फंसना पहले ही बहुत दर्द देता है | इस कठिनाई के अलावा जानवर उन जगहों पर भी घसीटे जाते हैं जहाँ वे सांस नहीं ले सकते | इसके परिणामस्वरूप, वे पानी के अंदर मनुष्य के समान घुटने लगते हैं | वे हिंसक रूप से, उग्रतापूर्वक पानी में लौटने का प्रयास करते हैं | हालाँकि सामान्य बुद्धि हमें बता सकती है कि इन स्थितियों में मछलियां पीड़ित होती हैं, उन्हें “काँटों” से फंसाए जाने पर होने वाले वैज्ञानिक मूल्यांकन भी हमें साक्ष्य देते हैं |

स्टीवन जे. कूक और लिन यू. स्नेडन द्वारा एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक लेख समझाता है कि इन परिस्थितियों में मछलियाँ प्राथमिक और द्वितीयक तनाव प्रतिक्रियाएं दोनों प्रकट करती हैं |5 प्राथमिक तनाव तब होता है जब काँटों में फंसी मछलियाँ कैटकोलामाइंस (एड्रेनल होर्मोन्स) स्रावित करती हैं | द्वितीयक तनाव प्रतिक्रियाओं में सफ़ेद पेशीय अनियमितता और रुधिर रोग (रक्त) परिवर्तन शामिल हैं | क्योंकि हम केवल अपने व्यक्तिपरक अनुभवों को महसूस कर सकते हैं और उन अन्य प्राणियों के नहीं, हम यथार्थ रूप से तनाव और तकलीफ़ के बीच सम्बन्ध को नहीं समझा सकते | हालाँकि, ये जानवर तनाव के जिस दिए हुये स्तर से गुज़र रहे हैं, इस बात को नकारना बेतुका लगता है कि वे पीड़ित हो रहे हैं |

“पकड़ना और छोड़ना” भी मछलियों के लिए हानिकारक है

पर्यावरणवादी और मत्स्य अधिकारी “पकड़ने और छोड़ने” की प्रक्रिया का समर्थन करते आये हैं जिससे कि मछलियों की जनसँख्या में जानवरों की संख्या महत्वपूर्ण रूप से कम नहीं होती | हालाँकि, यह प्रक्रिया भी जानवरों के लिए नुकसानदायक है | “पकड़ने और छोड़ने” से गुजरने वाले जानवर गंभीर शारीरिक चोट, गहरा तनाव अनुभव करते, और कई मामलों में मर जाते हैं |6 “पकड़ने और छोड़ने” की शिकार कई मछलियाँ मर जाती हैं | कुछ प्रक्रिया के दौरान मरती हैं, किन्तु कई सारी इसके बाद मरती हैं | मछली पकड़ने वाले सोच सकते हैं कि अधिकतर जानवर, तीन कारणों से बचते हैं:

1) वे मछलियों का मरना देखने में असफ़ल हैं, क्योंकि उनकी मौत तब होती है जब वे पानी में लौट चुकी होती हैं,

2) अभिलाषा कल्पित चिंतन, और

3) यह उनके क्रियाकलाप को और स्वीकार्य बनाता है |

वास्तव में, इन मछलियों में से कई उनकी चोटों से मरती हैं |7 मछलियाँ तनाव से होने वाली पीड़ा, या ऑक्सीजन की कमी से और लैक्टिक एसिड बनने से जो तब होता है जब वे मुक्त होने के लिए संघर्ष करती हैं, के कारण भी मर सकती हैं |8 मछलियों को पानी से बाहर निकलने वाले जाल बलगम हानि, फिन उधड़ने और पपड़ी हानि का कारक हो सकता है | मछली पकड़ने वालों द्वारा पकड़ा जाना उन्हें समान रूप में प्रभावित करता है |

शिकार के पीड़ित जानवरों की तरह जो घायल होते हुये भी भागने में सफल होते हैं, मछलियाँ बहुत दयनीय रह जाती हैं उन चोटों के कारण जो उन्हें “पकड़ने और छोड़ने” के दौरान लगती हैं | वे बिमारियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं, टूटे जबड़ों के साथ ठीक तरह से खाने में असमर्थ होने के कारण, शिकारियों के प्रति प्रतिरक्षाविहीन, और भूखी रह सकती हैं | जबड़ों में गंभीर क्षति श्वसन समस्याओं का भी कारण हो सकती है | इस प्रकार, यदि जबड़े का भाग गंभीर रूप से घायल है, तो उनका जीवित रहना गंभीर रूप से बाधित होता है | हमने यह भी देखा है कि मछलियों की आँखों, गला, भोजन नली और अंत को भी “पकड़ने और छोड़ने” के दौरान चोट लग सकती है |

ये जानवर आतंरिक अंगों में होने वाली गंभीर चोटों से भी पीड़ित हो सकते हैं यदि वे हुक निगल लेते हैं | इन चोटों का परिणाम धीमी, दर्दनाक मौत हो सकती है | यहाँ तक कि यदि जानवर उनकी चोटों से यदि सीधे नहीं मरते, तो भी चोटें उन्हें बीमारी, शिकार, या भुखमरी के कारण मरने को और भी दयनीय बना देती हैं | काँटों के अत्यधिक प्रयोग से इनमें से कई हानियाँ आमतौर पर स्वाभाविक हैं | मछली पकड़ने वाला चाहे कितनी भी सावधानी बरते, तब भी मछलियाँ महत्वपूर्ण रूप से पीड़ित होंगी, और उनमें से कई इस प्रक्रिया के परिणामतः सीधे मर सकती हैं क्योंकि हुक में फंसना और पानी से बहार निकाला जाना पीड़ा और चोटें पहुँचाने वाला है और उन्हें संभावित रूप से विकलांग कर या मार देगा |

कुछ काँटों से मछली पकड़ने वाले मछलियों को छोड़ने के इरादे से “जालों की थैली” में रख सकते हैं जिससे वे उन्हें बाद में छोड़ सकें | ये जालों की थैलियाँ अधिक भीड़ और ऑक्सीजन में कमी के कारण मछलियों के लिए पीड़ा का कारक हो सकती हैं | इन जालों में बीमारियाँ भी आसानी से फ़ैल सकती हैं | कभी-कभी उनमें मछलियाँ मर जाती हैं, और अगर नहीं, तो बाद में उनके बचने के अवसर कम हो जायेंगे |

काँटों से पकडे जाने वाले और शिकार

काँटों से मछली पकड़ने वालों द्वारा पकड़ी गई मछलियों के अलावा, यहाँ अन्य जानवर हैं जो इस प्रक्रिया के प्रभाव से पीड़ित होते हैं | छोटी मछलियाँ और अन्य जानवर कभी-कभी “जीवित चारे” की तरह हकों पर लटका दिए जाते हैं | यह उन्हें अत्यंत पीड़ा पहुंचता है; वास्तव में, वे उन जानवरों से ज्यादा पीड़ित हो सकते हैं जो पकडे जाते हैं | वे अंततः बड़ी मछलियों द्वारा खा लिये जाते हैं या उन्हें लाही चोटों के कारण मर जाते हैं | कुछ जगहों में कुत्तों के बच्चे और बिल्ली कि बच्चे शार्क पकड़ने के लिये जीवित चारे की तरह इस्तेमाल होते हैं | इसने कई लोगों में नाराज़गी पैदा की है | जबकि यह अच्छा है कि इस क्रियाकलाप ने बड़े पैमाने पर आलोचना ग्रहण की है, फिर भी शार्क पकड़ने का यह तरीका एक निम्नतम क्रिया है |

जानवरों की एक बहुत बड़ी संख्या नियमित मछली पकड़ने से पीड़ित होती है जिसे हम सामान्य तौर पर ग्रहण करते हैं | जैसा कि ऊपर बताया गया है, मछलियों की वैश्विक जनसँख्या का लगभग 12% नियमित रूप से पकड़ी जाती हैं | उनमें से कई छोटी मछलियाँ या अन्य छोटे जानवर जैसे कि अकशेरुकी जीवित चारे की तरह इस्तेमाल होते हैं | इसके अलावा जो कई नुकसान पहले दिखाये गए हैं, काँटों का प्रयोग अन्य संपार्श्विक दुर्घटनाओं का कारक है | मछलियों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल होने वाले नायलॉन धागे कभी-कभी मछलियों को काट देते हैं और उन्हें पानी में छोड़ देते हैं क्योंकि वे कहीं फंस जाते हैं | बचे हुये जालों से गुजरने वाले जानवर धागों में फंस सकते हैं, या धागों से कट सकते हैं | कुछ जानवर मछली पकड़ने वालों द्वारा छोड़े गए बेकार हुकों को निगल लेते हैं |

मछली पकड़ने के अन्य तरीके

खेलों के लिए यहाँ जानवर पकड़ने के अन्य तरीके हैं जिसमें हुकों का इस्तेमाल नहीं होता, जैसे कि जालों द्वरा मछली पकड़ना | यहाँ जालों का इस्तेमाल करने की कई अलग तकनीकें हैं | कभी-कभी अपेक्षाकृत रूप से बड़े जाल इस्तेमाल किये जाते हैं, जो सीधे पानी में फेंके जा सकते हैं या पानी में किसी चीज़ से या किनारों पर वज़न से बाँध दिए जाते हैं | अन्य मामलों में, छोटे जाल इस्तेमाल किये जाते हैं | वे आमतौर पर एक छड़ी के छोर के गिर्द बंधे छोटे जले होते हैं, जो हाथ वाले जाल कहलाते हैं, या छड़ी से झूलने वाले माध्यम आकार के जाले, जो झूला जाले कहलाते हैं | जालों में फंसने वाली मछलियाँ तनाव से पीड़ित होती हैं, और जालों से घर्षण और अन्य मछलियों के शरीर से घिसाव के कारण उनकी त्वचा ख़राब हो सकती है | पकडे जाने के बाद अंततः वे दम घुटने से मर जायेंगी, पानी से पकड़ी गई अन्य मछलियों की तरह |

अन्य जानवर गोताखोरों द्वारा मारे जाते हैं | गोताखोर जानवरों को लोचदार भालों से या और उन्नत गैस वाले वायुचालित भालों द्वारा पकड़ सकते हैं | यदि इन हथियारों के शिकारों का पहले दम न घुटे, तो वे उनके घावों से मर जायेंगे | कुछ मामलों में वे नाज़ुक अंगों में घायल होते हैं और वे इसके तुरंत बाद मर जाते हैं, किन्तु अन्य मामलों में मरने के पहले वे लम्बे समय तक पीडित होते हैं | भाले द्वारा मछली पकड़ने के आक्रमण से बहुत कम मछलियाँ बच पाती हैं |9

खेल के लिए पकडे जाने वाले अन्य जानवर क्रसटेसिया, जैसे केकड़े, लॉबस्टर या झींगा हैं | वे विभिन्न तरीकों से पकडे जा सकते हैं, जैसे जालों या पिंजरों द्वारा | पकडे जाने पर, वे मुक्त होने के लिए संघर्ष करते हैं, हालाँकि उतने हिंसक रूप में नहीं जैसे मछलियाँ करती हैं क्योंकि उनका दम नहीं घुटता जब वे पानी से बहार निकले जाते हैं | तब भी, यह स्पष्ट नहीं है कि उनका भाग्य बेहतर है या बुरा | वे छोटी जगहों (कभी-कभी बर्फ़ पर) में रखे जायेंगे, जब तक कि वे अंततः पका ना लिए जायें | वे सामान्यतः जीवित उबाल दिये जाते हैं, जो एक भयानक मौत है | कभी-कभी वे जीवित जमा दिये जाते हैं |


आगे पढ़ें

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टिप्पणियां

1 Cooke, S. J. & Cowx, I. G. (2004) “The role of recreational fisheries in global fish crises”, BioScience, 54, pp. 857-859.

2 U. S. Department of the Interior, Fish and Wildlife Service & U.S. Department of Commerce, U.S. Census Bureau (2002) 2001 National Survey of Fishing, Hunting, and Wildlife-Associated Recreation, Washington, D. C.: U. S. Department of the Interior, Fish and Wildlife Service [अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2013].

3 U. S. Department of the Interior, Fish and Wildlife Service & U.S. Department of Commerce, U.S. Census Bureau (2002) 2001 National Survey of Fishing, Hunting, and Wildlife-Associated Recreation, op. cit.

4 Cooke, S. J. & Cowx, I. G. (2004) “The role of recreational fisheries in global fish crises”, op. cit.

5 Cooke, S. J. & Sneddon, L. U. (2007) “Animal welfare perspectives on recreational angling”, Applied Animal Behaviour Science, 104, pp. 176-198.

6 Cooke, S. J.; Schreer, J. F.; Wahl, D. H. & Philipp, D. P. (2002) “Physiological impacts of catch-and-release angling practices on largemouth bass and smallmouth bass”, American Fisheries Society Symposium, 31, pp. 489-512. Cooke, S. J.; Suski, C. D.; Barthel, B. L.; Ostrand, K. G.; Tufts, B. L. & Philipp, D. P. (2003) “Injury and mortality induced by four hook types on bluegill and pumpkinseed”, North American Journal of Fisheries Management, 23, pp. 883-893. Ferguson, R. A. & Tufts, B. L. (1992) “Physiological effects of brief air exposure in exhaustively exercised rainbow trout (Oncorhynchus mykiss): Implications for ‘catch and release’ fisheries”, Canadian Journal of Fisheries and Aquatic Sciences, 49, pp. 1157-1162.

7 मृत्युदर पर अध्ययन की एक समीक्षा में यह पाया गया कि मछली में पकड़ना और छोड़ना 89% तक की मृत्युदर का कारक हो सकता है जो इसके प्रति उत्तरदायी रहा है:: Muoneke, M. I. & Childress, W. M. (1994) “Hooking mortality: A review for recreational fisheries” Reviews in Fisheries Science, 2, pp. 123-156.

8 Wood, C. M.; Turner, J. D. & Graham, M. S. (1983) “Why do fish die after severe exercise?”, Journal of Fish Biology, 22, pp. 189-201.

9 Meyer, C. G. (2007) “The impacts of spear and other recreational fishers on a small permanent Marine Protected Area and adjacent pulse fished area”, Fisheries Research, 84, pp. 301-307. Wickham, D. A. & Watson, J. W., Jr. (1976) “Scuba diving methods for fishing systems evaluation”, Marine Fisheries Review, 38 (7), pp. 15-23 [अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2014]. Barthel, B. L.; Cooke, S. J.; Suski, C. D. & Philipp, D. P. (2003) “Effects of landing net mesh type on injury and mortality in a freshwater recreational fishery”, Fisheries Research, 63, pp. 275-282.